यह हमला अहवाज़ में मिलिट्री परेड पर हुए हमले के जवाब के रूप में किया गया है.ईरान के सरकारी टीवी चैनल के अनुसार मिसाइल किया गया यह हमला सीमा के पास स्थित अल्बु कमाल शहर पर किया गया, इस इलाके में कथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) का प्रभाव बताया जाता है.अहवाज़ में 22 सितंबर को हुए हमले की ज़िम्मेदारी आईएस और अरब अलगाववादियों ने ली थी. इस हमले में 25 लोग मारे गए थे.ईरान की सरकार ने आरोप लगाए थे कि हमलावर असल में जिहादी अलगाववादी थे जिन्हें अमरीका के संगठन वाले खाड़ी देशों ने समर्थन दिया था. रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इसके साथ ही बताया कि यह हमला ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के ज़रिए सोमवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर 2 बजे किया गया.

बताया जा रहा है कि चरमपंथियों को और अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए गोला बारूद के भंडार पर भी लगातार हमले किए गए.रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की तरफ से जारी बयान में बताया गया है, ”हम अपने दुश्मनों को अपने मज़बूत हाथों से सही जवाब देने की काबीलियत रखते हैं.’‘हालांकि इस बयान में यह नहीं बताया गया है कि इन मिसाइलों को पश्चिमी ईरान के किस इलाके से लॉन्च किया गया था. लेकिन इतना ज़रूर बताया गया कि इन मिसाइलों ने 570 किलोमीटर की दूरी तय की ईरान की समाचार एजेंसी फ़ार्स ने बताया है कि ये मिसाइलें ज़ोल्फ़ग़र और क़ियाम थीं, इनमें से कम से कम एक मिसाइल पर लिखा था ‘डेथ टू अमरीका’, ‘डेथ टू इसरायल’ और ‘डेथ टू अल सऊद’ अंतिम संदेश में सऊदी अरब में शासन करने वाले परिवार का ज़िक्र था.

ईरान ने सीरिया में चल रहे गृह युद्ध में सरकार का समर्थन करने के लिए अपनी सैन्य टुकड़ियां भेजी हैं.सीरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी सना न्यूज़ ने इन हमलों के बारे में तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन सीरिया में मानवाधिकारों पर नज़र रखने वाले समूह का कहना है कि उन्होंने अल्बु कमाल इलाके के पास धमाके की खबरें सुनी हैं.ब्रिटेन स्थित इस मानवाधिकार निगरानी समूह का कहना है कि ऐसा माना जा रहा है कि यह हमला हाजिन इलाके में स्थित आईएस के मुख्यालय पर किया गया, इस हमले में जानमाल का कितना नुकसान हुआ है, इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिल सकी है.अमरीकी सेना के एक अनुमान के मुताबिक इस इलाके में 1500 से 2000 चरमपंथी हो सकते हैं.अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि अहवाज़ में मिलिट्री परेड पर हुए हमले के पीछे किसका हाथ था.

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