मध्य एशियाई देशों में मीडिया इस बात पर हैरान है कि दक्षिण ताजिकिस्तान में मुसलमान उलेमा अपने साप्ताहिक चंदे की राशि, 70 साल तक रूस में वामपंथ लाने वाले बोलशेविक क्रांति के नेता लेनिन की मूर्ति की मरम्मत पर ख़र्च कर रहे हैं.रेडियो लिबर्टी की ताजिक सेवा के मुताबिक़ शहर तूस की मस्जिदों के इमामों और ख़तीबों ने मस्जिदों में एकत्र होने वाली राशि से रूसी कम्युनिस्ट नेता की मूर्ति शहर के केंद्र में उसी स्तंभ पर फिर से स्थापित कर दी है जहां पर दो साल पहले उसे गिराया गया था.

इस टूटे हुए मूर्ति के जगहपर फिर से  नया हाथ लगाया गया है. और इस को सुनहरा रंग रोग़न किया गया है तूस शहर की महरीनिसो राजाबोवा का कहना है कि यह विचार ताजिकिस्तान के इमामों का अपना है. उन्होंने फ्रीडम रेडियो को बताया, “उन्होंने प्रतिमा की मरम्मत की और इस स्मारक के आसपास पार्क की भी सफ़ाई की. अब वे फ़व्वारों की भी मरम्मत कर रहे हैं.”मस्जिद के इमाम  उन्हें कुल खर्च के बारे में तो जानकारी नहीं थी लेकिन अंदाज़न हर मस्जिद ने हर हफ़्ते लगभग 100 डॉलर का चंदा लिया.स्वतंत्रता के कई साल बाद देश में सोवियत संघ के संस्थापकों की अधिकांश प्रतिमाओं को गिरा दिया गया था लेकिन इस मूर्ति को ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया और इसे नुकसान नहीं पहुंचाया गया.हालांकि साल 2016 में स्थानीय अधिकारियों ने सोवियत काल की मूर्तियों को हटाकर ताजिक राष्ट्रीय नायकों की मूर्तियां लगाने का सिलसिला शुरू किया. उन्होंने लेनिन की इस प्रतिमा को ओबशोरोन गांव पहुंचा दिया जहां एक गोदाम में वह ख़राब होती रही.

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