रोहिंग्या पुरुषों की हत्या सितंबर 2017 में उत्तरी रखाइन के इन-दिन गांव में कथित तौर पर सेना के ज़रिए की गई थी. इन दोनों पत्रकारों पर रोहिंग्या समुदाय के ख़िलाफ़ हुई हिंसा की जांच के दौरान राष्ट्रीय गोपनीयता क़ानून के उल्लंघन का आरोप है.
वा लोन और क्याव सो ओ नाम के ये दोनों पत्रकार म्यांमार के नागरिक हैं. इन दोनों को तब गिरफ़्तार किया गया जब ये कुछ सरकारी दस्तावेज़ ले जा रहे थे. ये दस्तावेज़ उन्हें कथित तौर पर पुलिस अफ़सरों ने दिए थे.
दोनों पत्रकारों ने ख़ुद को बेगुनाह बताया है और कहा है कि पुलिस ने ही उन्हें फ़ंसाया है.अदालत के फ़ैसले के बाद वा लोन ने कहा कि उन्हें किसी से डर नहीं है.उन्होंने कहा, ”मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है, मुझे न्यायपालिका, लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर भरोसा है.”इन दोनों पत्रकारों को पिछले साल दिसंबर में गिरफ़्तार किया गया था, तब से वे जेल में ही बंद हैं.
32 साल के वा लोन और 28 साल के क्याव सो ओ म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के 10 पुरुषों की हत्या की जांच कर रहे थे.इन 10 रोहिंग्या पुरुषों की हत्या सितंबर 2017 में उत्तरी रखाइन के इन-दिन गांव में कथित तौर पर सेना के ज़रिए की गई थी.
इन दोनों ही पत्रकारों को उनकी रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले ही गिरफ़्तार कर लिया गया था.दरअसल दो पुलिसकर्मियों ने इन्हें एक रेस्टोरेंट में मुलाक़ात के दौरान कुछ दस्तावेज़ सौंपे थे.पुलिस की तरफ़ से पेश किए गए एक गवाह ने कोर्ट में इस मामले की कार्यवाही के दौरान बयान दिया कि रेस्टोरेंट की इस मुलाक़ात को पूरी तरह प्लान किया गया था जिससे इन पत्रकारों को पकड़ा जा सके.
जो रिपोर्ट इन दोनों पत्रकारों ने तैयार की थी वह अपने-आप में एक बेहद दिलचस्प और असाधारण रिपोर्ट थी. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए और भी दूसरे पत्रकार शामिल थे.
इस रिपोर्ट को असाधारण इसलिए बताया गया था क्योंकि इसमें बहुत से लोगों के बयान शामिल किए गए थे, इनमें बौद्ध ग्रामीण भी शामिल थे जिन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या और उनके घरों में आग लगाने की बात क़बूल की थी.