“पापा जी अबकी बार देश के लिए गोल्ड लेकर आऊंगा. और उसने वादा निभाया देश के लिए गोल्ड लेकर आया है.”
विजेंदर पांघल कहते हैं ज़िंदगी में हार जीत तो लगी रहती है, लेकिन जब तिनका-तिनका जोड़कर बनी नांव से समंदर पार किया जाता है तो ये करने की ख़ुशी आंखों और आवाज़ में दिख ने लगती है.22 साल के अमित पांघल के परिवार वालों, ख़ासकर उनके पिता विजेंदर पांघल की आवाज़ में कुछ ऐसी ही ख़ुशी नज़र आती है.वो अपने बेटे के बारे में बोलते हुए भावुक हो जाते हैं.विजेंदर पांघल कहते हैं, “मेरे घर में दो-दो खिलाड़ी हुए. मेरा बड़ा बेटा भी बॉक्सर है, लेकिन मैं आर्थिक तंगी के चलते अपने दोनों बेटों को स्पोर्ट्स में नहीं भेज सका. किसी तरह कुछ करके अमित को आगे बढ़ाया और आज उसने देश का नाम ऊंचा किया.”
लेकिन ये पहला मौक़ा नहीं था जब 22 साल के अमित 25 साल के ओलंपिक गोल्ड विनर हसनबॉय दस्तमास्तोव के आमने-सामने थे.इससे पहले हसनबॉय और अमित के बीच 2017 के एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप, में ज़ोरदार मुक़ाबला हुआ था, जिसमें हसनबॉय ने क्वॉर्टर फ़ाइनल राउंड में ही अमित को हरा दिया था.लेकिन इसके बाद अमित ने शानदार वापसी करते हुए स्ट्रेद्जा कप में गोल्ड मेडल और 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल जीता.