नई दिल्ली: भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की मंगलवार को की गई गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद पुणे पुलिस के सूत्रों ने दावा किया है कि गिरफ्तारियां ऐसे सबूतों के आधार पर की गई हैं, जिनसे पता चलता है कि आरोपी ‘बड़ी साज़िश’ रच रहे थे. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि वह साज़िश क्या थी.
पुलिस सूत्रों का दावा है कि इन कार्यकर्ताओं पर पुणे पुलिस लगभग एक हफ्ते से करीबी नज़र रखे हुए थी. इनके घरों पर छापे मारे जाने से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ‘नए सबूतों’ की जानकारी दे दी गई थी. हालांकि यह नहीं बताया गया कि नए सबूत क्या थे.

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश रची गई है, लेकिन पुलिस ने यह भी कहा कि इस सिलसिले से जुड़ाव की कोई नई जानकारी सामने नहीं आई है.10 कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी ली गई, और पांच – माओवादी विचारक वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा व वरनॉन गोन्सालवेज़ – को मंगलवार शाम को एक ही समय पर छापे मारकर गिरफ्तार किया गया था.

पुलिस का कहना है कि ये गिरफ्तारियां इसी साल जून माह में की गई पांच अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों के बाद की गई हैं, जिनके दौरान काफी मात्रा में डेटा पुलिस के हाथ लगा था.
पहले गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं पर पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव गांव में दलितों तथा सवर्ण मराठियों के बीच 1 जनवरी को हुई हिंसा के आरोप लगाए गए थे.

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