पटना:पुलिस लाइन में सिपाही विद्रोह मामले में कठोर कार्रवाई करते हुए नीतीश सरकार 175 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया। इनमें 167 नये और 8 पुराने सिपाही हैं। बिहार में पहली बार अनुशासनहीनता के आरोप में 175 पुलिस कांस्टेबल को सेवा से सस्पेंड कर दिया गया है. इनमें से क़रीब 167 वो सिपाही हैं, जिनकी अभी ट्रेनिंग ही चल रही थी. इन सबने शुक्रवार को पटना पुलिस लाइन में एक महिला प्रशिक्षु कांस्टेबल की मौत के बाद न केवल हंगामा किया था, बल्कि अधिकारियों की पिटाई में भी शामिल थे. इसके अलावा इनलोगों ने सरकारी वाहनों को भी क्षतिग्रस्त किया था.

पटना जोन के आईजी नय्यैर हसनैन खान की जांच के आधार पर यह कार्रवाई की गई है. नय्यैर हसनैन पर ही इस मामले की जांच का जिम्मा था. उनके द्वारा 48 घंटे के भीतर सौंपी गई अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा कई पुलिसकर्मियों को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में भी निलंबित किया गया है और क़रीब 93 वैसे पुलिसकर्मी जो येन केन प्रकारेण पटना पुलिस लाइन में पिछले 10 वर्षों से अधिक से जमे हुए थे उन्हें पटना ज़ोन से बाहर तबादला करने का आदेश भी दिया गया है.

एक उच्चस्तरीय बैठक में रविवार को आईजी एनएच खां ने अनुशासन तोड़ने और घटना में शामिल सिपाही को सीधे सेवा से बर्खास्त कर दिया है। वहीं घटना में शामिल पुलिस लाइन में तैनात 23 को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया हैं। इनमें तीन पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें अनुशासन बनाये रखने की जिम्मेदारी दी गई थी।

ये सभी कार्रवाई पुलिस मुख्यालय और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस पूरे मामले पर सख़्त कारवाई करने के आदेश के बाद संभव हो पाया. राज्य सरकार को इस बात का अहंकार हो गया था कि इस बार कारवाई करने से चूके तो आने वाले समय में इससे गंभीर घटना हो सकती है. हालांकि ट्रेनिंग के बीच से जिन सिपाहियों को काम पर लगाया गया था, उन्हें वापस ट्रेनिंग पर भेज दिया गया है.

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