नयी दिल्ली। सेव लाइव फाउंडेशन द्वारा कराये गए एक सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि कुल मिला कर , सर्वेक्षण में भाग लेने वालों में सिर्फ 16 प्रतिशत लोग ही इस काननू के बारे में जानते हैं। इस सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ कि भले ही पीड़ितों की सहायता करने की इच्छा में वद्धृि हुई हो और यह 2013 के 26 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 28 प्रतिशत हो गया हो, इसके बावजूद ठोस कारवाई के रूप में पीड़ितों की सहायता की इच्छा अब भी कम है।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले जिन लोगों ने सहायता करने की इच्छा जताई उनमें से सिर्फ 29 प्रतिशत पीड़ितों के साथ अस्पताल जाने और 28 प्रतिशत एम्बुलेंस बुलाने की इच्छा रखते थे और सिर्फ 12 प्रतिशत ने कहा कि वह पुलिस को बुलाएँगे।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का परूी तरह उल्लंघन करते हुए सर्वेक्षण में भाग लेने वाले किसी भी अस्पताल ने अपने प्रवेश पर गडु सेमेरिटन चार्टर का प्रदर्शन नहीं किया है जिसमें घायलों को अस्पताल लाने या उनके साथ आनेवा लेग सेमेरिटन की अधिकार निभाए गए हों। यही नहीं, सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 96 प्रतिशत चिकित्सा पेशेवरों ने स्वीकार किया कि उनके यहां गडु सेमेरिटन लॉ कमेटी नहीं है और सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 64 प्रतिशत पुलिस अधिकारीयों ने स्वीकार किया कि वे अब भी गडु सेमेरिटन के निजी विवरण लेते हैं।