सऊदी अरब में उस वक़्त लोग चकित रह गए जब उन्होंने एक महिला न्यूज़ एंकर को टीवी पर ख़बर पढ़ते देखा.यह पहली दफा है जब सरकारी न्यूज चैनल ‘सऊदी टीवी’ पर एक महिला पत्रकार रात के प्राइम टाइम न्यूज़ बुलेटिन को एंकर कर रही थीं.वीम अल-दखील नाम की इस पत्रकार ने अपने पुरुष सहकर्मी उमर अल-नश्वन के साथ गुरुवार की रात साढ़े नौ बजे देश-दुनिया की ख़बरें पढ़ी.इससे पहले टीवी न्यूज़ के प्राइम टाइम जैसे ज़्यादा देखे जाने वाले बुलेटिन को पुरुष पत्रकार ही होस्ट करते रहे थे.महिला पत्रकार महिलाओं से जुड़े कार्यक्रमों, सुबह के शो और मौसम की ख़बरों में ही दिखती थीं वीम अल-दखील सऊदी पत्रकार हैं, जो सरकारी न्यूज़ चैनल सऊदी टीवी से जनवरी 2018 में जुड़ी थीं.अरब न्यूज के मुताबिक इससे पहले वो बहरीन में अल-अरब न्यूज़ चैनल में प्रजेंटर थीं. उन्होंने यहां 2014 से 2017 के बीच काम किया.वो सितंबर 2012 से नवंबर 2013 तक सीएनबीसी अरबिया में रिपोर्टर रही थीं. अल-दखील ने लेबानीज अमरीकन यूनिवर्सिटी से साल 2011 में पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया था.
सऊदी अरब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक महिला जर्नलिस्ट ने टीवी पर बतौर एंकर न्यूज बुलेटिन पढ़ा. सऊदी की अखबार खलीज टाइम्स के मुताबिक वीम अल दखील ने पहली बार सऊदी टीवी पर बतौर एंकर रात की बुलेटिन पढ़ी.सऊदी टीवी ने अपनी ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल पर वीम अल दखील को बधाई देते हुए लिखा, ‘इसके पहले 2016 में जुमाना अलशेमी ने पहली बार टीवी पर सुबह की बुलेटिन पढ़ा था. आज इतिहास ने खुद को दोबारा दोहराया है और पहली बार रात की बुलेटिन एक महिला जर्नलिस्ट ने पढ़ा है. सऊदी टीवी1 के इतिहास में यह एक बेहद ही बढ़िया मौका है जब किसी महिला ने एंकरिंग की है.
वो तीन भाषाओं की जानकार हैं: अरबी, इंग्लिश और फ्रेंच.सऊदी टीवी को हाल ही में रिलॉन्च किया गया था. देश की सांस्कृतिक और सूचना मंत्रालय के चलाए जा रहे इस न्यूज़ टीवी में कई तरह के बदलाव किए गए हैं, उन्हीं बदलावों के तहत ये फ़ैसला लिया गया था.
सऊदी शाह मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030′ के तहत देश में कई प्रगतिशील फ़ैसले लिए जा रहे हैं.इससे पहले वहां महिलाओं को ड्राइविंग, स्टेडियम में मैच देखने और खेलों में भाग लेने की इजाज़त दी गई थी.’विजन 2030’ में महिला शक्तिकरण पर विशेष ज़ोर दिया गया है. देश यह चाह रहा है कि अब उनकी महिलाएं देश की आर्थिक गतिविधियों में ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा लें.ये पहला मौका था जब किसी दूसरे मुल्क में सऊदी अरब की नुमाइंदगी करने का मौका एक महिला को देने का फ़ैसला किया गया.
पिछले साल एक और फ़ैसले में महिलाओं को फ़तवा जारी करने का हक़ मिला था. पिछले कई दशक से ये अधिकार सिर्फ़ पुरुषों को हासिल था.
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