मिशेल ओबामा की किताब ‘बिकमिंग’ 13 नवंबर को लॉन्च होगी. मिशेल ने अपनी इस 426 पन्नों की किताब में हर उस बात का जिक्र किया है जो उन्होंने आठ वर्षों के दौरान व्हाइट हाउस में रहते हुए महसूस की. इसके अलावा उन्होंने अपनी ज़िंदगी से जुड़े ऐसे कई व्यक्तिगत पहलुओं को भी इसमें छुआ है जो अभी तक सार्वजनिक नहीं थीं.
अमीरीकी चैनल एबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “मुझे लगा कि मैं फेल हो चुकी हूं क्योंकि गर्भपात कितना आम है मुझे इस बारे में पता ही नहीं था, क्योंकि इस बारे में लोग ज्यादा बातचीत नहीं करते हैं.”54 वर्षीय मिशेल ने बताया कि साशा और मालिया के जन्म के लिए उन्हें आईवीएफ़ का सहारा लेना पड़ा था. अब साशा 17 साल और मालिया 20 साल की हैं.
पूर्व वकील और अस्पताल की प्रशासक की रहीं मिशेल ओबामा ने 54 वर्ष की मिशेल ने लिखा है कि वह लगातार से गर्भधारण की कोशिशें कर रही थीं लेकिन कुछ सही नहीं हो पा रहा था. इसके बाद फिर एक दिन वह और उनके पति पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया और वह पॉजीटिव आया. इसके बाद दोनों खुश थे, लेकिन दो हफ्तों के बाद ही मिशेल को गर्भपात से गुजरना पड़ा.
उन्होंने बताया कि जब वो करीब 34 साल की थी, तब उन्हें लगा कि ‘बायोलॉजिकल क्लॉक एक सच है और अंडे सीमित मात्रा में बनते हैं’ और इसके बाद उन्होंने आईवीएफ़ तकनीकी को अपनाने का निर्णय लिया.अपने संस्मरण में उन्होंने अपने जीवन के बारे में खुलकर लिखा है. उन्होंने लिखा है कि किस तरह उन्हें ओबामा से प्यार हुआ. शिकागो में गर्मी की उस रात को याद करते हुए मिशेल लिखती हैं, “जैसे ही मैंने ओबामा के बारे में सोचना और महसूस करना शुरू किया, मैं उन भावनाओं में बहती और डूबती चली गई. ये पूर्ण संतुष्टि, विस्मय और कृतज्ञता के भाव थे.
इस किताब में मिशेल ने लिखा है कि वह मौजूदा अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके पति बराक ओबामा के ख़िलाफ़ फैलाईं गई ‘झूठी बातों’ के लिए कभी माफ़ नहीं करेंगी. मिशेल ने खासतौर पर ट्रंप की ओर से ओबामा के जन्मस्थान को लेकर फैलाई गईं बातों की वजह से उन पर हमला बोला है.
साल 2016 में राष्ट्रपति चुनावों के दौरान ट्रंप ने कहा था कि ओबामा अमरीका में पैदा नहीं हुए थे. उन्होंने लिखा है कि ट्रंप की इस टिप्पणी ने उन्हें काफ़ी तकलीफ पहुंचाई थी और इस दावे के लिए वह ट्रंप को कभी माफ़ नहीं करेंगी. मिशेल ने इसके लिए जीनोफोबिया शब्द का इस्तेमाल किया है. मिशेल ने लिखा है, “यह पूरी चीज़ पागलपन और मतलब की भावना से भरी हुई थीं. बेशक, इसमें कहीं न कहीं कट्टरता और जेनोफोबिया छुपा हुआ था.