जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भारत-अरब कल्चर सेंटर ने इंडियन कांउसिल फाॅर सोशल साइंस रिसर्च और इंडियन कांउसिल आफ वल्र्ड एफेअर से मिल कर ‘‘भारत, चीन और अरब जगत के बीच नए डाइनैमिक्स खोजने ‘‘ पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।

इसका उद्घाटन सत्र 25 मार्च को हुआ। भारत में कुवैत के राजदूत जसेम इब्राहिम अल नजम इसके मुख्य अतिथि थे। पश्चिम एशिया में भारत के विशेष दूत चिन्मय आर. ग़रे खान ने इस सत्र की अध्यक्षता की।

जामिया के रजिस्ट्रार ए. पी. सिद्दीकी ने मेहमानों का स्वागत किया और आईएसीसी के कार्यकारी निदेशक डा नासिर रज़ा खान ने स्वागत संबोधन किया।
श्री जसेम इब्राहिम अल नजम ने इस विषय पर सम्मेलन करने की सराहना करते हुए कहा कि आज के वैश्विकरण युग में यह बहुत ही सार्गगर्भित मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इन तीनों क्षेत्रों की जड़ें प्राचीन समय से आपस में जुड़ी हुई हैं।

आधुनिक युग में चीन द्वारा प्राचीन सिल्क रोड को ‘‘बेल्ट ऐन्ड रोड ‘‘ नाम से फिर से शुरू करके उसे दुनिया के हर कोने में ले जाने की चीन की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे विश्व के देश आपस में और करीब आएंगे।

श्री चिन्मय आर. ग़रे खान ने समापन सत्र के अपने संबोधन में अरब जगत में कुवैत की व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि यह राजशाही और लोकशाही का ऐसा अनूठा मिश्रण है जहां, जनता के अधिकारों और उनकी पूर्ण स्वतंत्रता के लिए संसद सजग रहती है।

डा अतिया रब्बी निज़ामी ने धन्यवाद भाषण में उपस्थित लोगों और सम्मेलन को सफल बनाने में योगदान करने वाली एजेंसियों के प्रति आभार प्रकट किया।

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