रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश से वापस म्यांमार भेजने की अपुष्ट ख़बरों के चलते शरणार्थी शिविरों में डर और आशंका का माहौल बन गया है.प्रशासन ने कहा है कि वे रोहिंग्याओं के पहले समूह को भेजने पर विचार कर रहे हैं लेकिन क्या ऐसा सच में होगा फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई है.संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों ने कहा है कि किसी को भी जबरन वापस ना भेजा जाए क्योंकि म्यांमार में अभी भी ठीक हालात नहीं हैं.पिछले साल से अभी तक सात लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश चले गए.
म्यांमार के रख़ाइन प्रांत में हुई हिंसा और सैन्य अभियानों के चलते यह पलायन हुआ.संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इन सैन्य अभियानों में नरसंहार जैसी स्थिति कैसे बन गई इसकी जांच होनी चाहिए, वहीं म्यांमार की सेना का दावा है कि उन्होंने सिर्फ चरमपंथियों को ही निशाना बनाया.हिंसा की शुरुआत में ही करीब तीन लाख रोहिंग्या म्यांमार छोड़ चुके थे.
अधिकतर शरणार्थी बांग्लादेश की सीमा पर बसे कॉक्स बाज़ार में बने शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.म्यांमार और बांग्लादेश इस बात पर एकमत हुए थे कि इन शरणार्थियों को धीरे-धीरे वापस म्यांमार भेजना चाहिए.इसके बाद से ही शरणार्थियों में डर का माहौल बन गया है, इसकी वजह इन शरणार्थियों द्वारा म्यांमार में झेली गई हिंसा है जिसमें उन्होंने अपने घर और परिवार गवां दिए.
योगिता ने बताया कि शरणार्थियों को इस बारे में कुछ जानकारियां भी दी गई थीं जैसे बसों का इंतजाम हो गया है, ट्रांजिट कैम्प बनाए गए हैं और तीन दिन के राशन की व्यवस्था है.जब से वापसी की यह घोषणा हुई है शरणार्थियों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है. वे नारे लगा रहे हैं, ”हम वापस नहीं जाना चाहते.”बांग्लादेश के रिपाट्रिएशन कमिश्नर मोहम्मद अबुल कलाम ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, ”कोई भी वापस जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा है, हम किसी को ज़बरदस्ती वापस नहीं भेज सकते.”
40 वर्षीय एक शख़्स जिनका नाम वापस जाने वाले लोगों ने बताया ”मैं स्वदेश वापसी की बात से परेशान हूं. हालांकि ये लोग मुझे सुरक्षा का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन फिर भी मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं. मुझे लगता है अगर हम वापस गए तो वे हमें मार डालेंगे.”इस शख़्स ने बताया कि उन्होंने बाकियों की ही तरह अपने परिवार को दूसरे कैम्प में छिपने के लिए भेज दिया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ एक ही शर्त पर वे वापिस जाने के लिए तैयार हुए है कि क्या म्यांमार उन्हें नागरिकता देगा.
उन्होंने कहा, ”अगर हम वापस लौटते हैं तो यह हमारी किस्मत होगी, लेकिन मुझे लगता है कि वे हमें मरने के लिए भेज रहे हैं.”एक और शरणार्थी ने बीबीसी को बताया कि वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ भागने में कामयाब रहे लेकिन उनके बहुत से रिश्तेदार म्यांमार में मारे गए.उन्होंने रोते हुए कहा, ”वे हमें बुरी तरह प्रताड़ित करते थे. सेना आती थी और हमारे लोगों की हत्या कर चली जाती थी, वे हमारे बच्चों को आग में डाल देते थे. उन्होंने हमारे घरों में आग लगा दी थी.”वे कहते हैं, ”मैं वापस जाने की बात सुनकर ही बहुत परेशान हो गया हूं. हम उस जगह कैसे लौट सकते हैं?”