दक्षिण अमेरिकी देश ब्राज़ील में राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जा रहे हैं. दुनिया का एक बड़ा लोकतंत्र अपने देश के नए नेता को चुनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.इस रेस में ज़ाइर बोलसानरू सबसे आगे चल रहे है. उनके ख़ाते में कुल 46.93 फ़ीसदी वोट शेयर अबतक आ चुके हैं जो कुल गिने गए वोटों का 94 फ़ीसदी हिस्सा है. वहीं दूसरे नंबर पर लेफ्ट वर्कर पार्टी के नेता फ़र्नांडो हद्दाद हैं.ज़ाइर बोलसानरू की बात करें तो उनकी छवि एक अति दक्षिणपंथी नेता की है. उन्हें ‘ब्राज़ील का ट्रंप’ भी कहा जाता है.बोलसानरो और विवाद 63 साल के ज़ाइर बोलसानरूअपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं. वे गर्भपात, नस्ल, शरणार्थी और समलैंगिकता को लेकर भड़काऊ बयान दे चुके हैं.
बोलसानरू पूर्व सेना प्रमुख रह चुके हैं और वे ख़ुद की छवि ब्राजील के हितों के रक्षक के तौर पर पेश करते हैं. वे ब्राजील में सेना के शासन को सही ठहराते रहे हैं. वे मानते हैं कि देश की मजबूती के लिए ब्राज़ील को 1964-85 वाले सेना के तानाशाही के दौर में दोबारा जाना चाहिए.
महिला विरोधी बयान देने वाले बोलसानरो ने जब चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश की तो उसके विरोध में कई रैलियां की गईं. कई ब्राज़ीली लोग उनकी विचारों से इत्तेफ़ाक नहीं रखते. कुछ मीडिया के जानकार उन्हें ‘ट्रंप ऑफ ट्रॉपिक्स’ यानी ब्राज़ील का ट्रंप कह रहे हैं. उनके चुनाव और सोशल मीडिया प्रचार की तुलना ट्रंप के चुनावी प्रचारों से की जा रही है.

ज़ाइर बोलसानरू के प्रतिद्वंदी सिराओ गोमेज़ उन्हें ‘ब्राज़ील का हिटलर’ भी कह चुके हैं. चुनाव के पहले तमाम मीडिया के ओपिनियन पोल में बोलसानरू के पक्ष में नतीजे जाते नज़र आ रहे थे.छह सितंबर को उनपर चाकू से हमला किया गया जिसके कारण वह अस्पताल में रहे और अपने चुनावी प्रचारों में ख़ुद हिस्सा ना ले सके. इसके बावजूद उन्हें ओपिनियन पोल में बढ़त मिलती दिखी.अपने सातवें कांग्रेस के कार्यकाल में ज़ाइर बोलसानरू ने अपनी प्राथमिकताएं सुनिश्चित की. उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य सेना के हितों की रक्षा करना है और यही उनके चुनावी अभियानों का आधार रहा.

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