सम्मेलन में प्रायद्वीप का एक देश स्वाज़ीलैंड मौजूद नहीं, चीन ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया था
चीन-अफ्रीका सहयोग मंच पेइचिंग शिखर सम्मेलन 4 सितंबर को समाप्त हुआ .चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा ने नेताओं की गोलमेज सभा की अध्यक्षता की और दो दस्तावेज़ संपन्न किये। सभा की समाप्ति पर आयोजित एक न्यूज़ ब्रिफिंग में शी चिनफिंग ने कहा कि वर्तमान में दुनिया अभूतपूर्व परिवर्तन से गुजर रही है। विश्व मल्टीपालाइजेशन और आर्थिक वैश्वीकरण के चलने के साथ-साथ विश्व जनता का भाग्य जोड़ा गया है। साथ ही विश्व के सामने अनिश्चितता समेत अनेक चुनौतियां मौजूद हैं। इसी स्थिति में चीन और अफ्रीका का समान विचार है कि उन्हें घनिष्ठ समान भाग्य वाले समुदाय की स्थापना करना चाहिये।
चीन में अफ़्रीका सहयोग मंच के सम्मेलन में 50 से अधिक अफ़्रीकी देश जुटे लेकिन इनमें प्रायद्वीप का एक देश स्वाज़ीलैंड मौजूद नहीं था.इसकी वजह थी कि चीन ने उसे चार सितंबर को ख़त्म हुए इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया था.चीन ने उसे क्यों नहीं बुलाया इसकी एकमात्र वजह यह है कि स्वाज़ीलैंड ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध रखता है, जिसे चीन विद्रोही प्रायद्वीप मानता रहा है.ताइवान के साथ स्वाजीलैंड के संबंध उसे चीन के पास आने से रोकते हैं. चीन उन सभी देशों से राजनयिक संबंध नहीं रखना चाहता है जो ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देते हैं.
यही वजह है कि ताइवान के सहयोगियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. ताइवान ने इसी साल अगस्त में चीन के दबाव में अपना एक और सहयोगी गंवा दिया. यह सहयोगी अल साल्वाडोर है जिसने ताइवान से अपने सभी कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए.चीन लंबे समय से अल सल्वाडोर पर ताइवान के साथ उसके कूटनीतिक रिश्ते ख़त्म करने का दबाव बना रहा था.पूरी दुनिया में चीन के बढ़ते आर्थिक दबदबे के चलते ताइवान के पास अब केवल 17 देशों से कूटनीतिक रिश्ते शेष रह गए हैं.